साईं तेरे चरणों को अपने
सिर पर रखते हैं
तू ही दाता सोचकर अपने
काम को करते हैं
कहो तो कभी सामने आयेगा?
हमे दर्शन दि खाएगा?
सबका मालिक एक है
तुमने हमें सिखाया है
ग्यारह वचन देकर के
जीवन को भी सुधारा है
तेरी निगाहों में हम रहते
फिर क्यों डरते हैं
तू ही दाता सोचकर अपने
काम को करते हैं
कहो तो कभी सामने आयेगा?
हमे दर्शन दि खाएगा?
केवल पानी डालकर
तुमने दिए जलाए थे
मेरे पत्थर दिल में भी
तुमने भक्ति जगाए थे
मेरा मंदिर शिरडी में स्तिथ
द्वारिका माई है
ऐसा दरबार कहीं नहीं जहाँ
सबकी सुनाई है
कहो तो कभी सामने आयेगा?
हमे दर्शन दि खाएगा?
गेहूँ को तुम पीसकर
बीमारी को साफ़ किया
मन के काम क्रोध को
प्रेम से तुमने माफ़
किया
शरण में आये भक्तों की तुम
रक्षा करते हो
उनकी जीवन के नैया को
पार भी करतो हो
कहो तो कभी सामने आयेगा?
हमे दर्शन दि खाएगा?
साईं तेरे चरणों को अपने
सिर पर रखते हैं
तू ही दाता सोचकर अपने
काम को करते हैं
कहो तो कभी सामने आयेगा?
हमे दर्शन दि खाएगा?
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